पशुधन पर श्वानो का आतंक का कहर

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पशुधन पर श्वानो का आतंक का कहर:


नागौर जिले में आए दिन श्वानों के आतंक का कहर बढ़ रहा है जिससे पूरा ग्रामीण अंचल कापी चिंतित है. हाल ही चुंटीसरा गाँव की घटना से ग्रामीणों में हड़कंप मच गया था जिसमे 107 भेड़ों को जंगली कुत्तों ने अपना शिकार बना लिया था इस तरफ की घटना ग्रामीण अंचल में बिलकुल आम हो गई दिन दहाड़े सामने देखते – देखते आवारा कुत्ते भेड़, बकरी एवंमेमने तथा बड़े पशुओं को अपना ग्रास बना रहे है. इसके साथ साथ अब कुत्तों का हौसला इतना बढ़ गया खतों में चरने वाले बड़े पशुओं जैसे की गाय एवं भेंस को अपना शिकार बनाने की भरकस प्रयास करके सफल हो रहे है ऐसी कई घटना सामने आ रही है हाल ही में अलाय की सरहद पर थलांजु- कालड़ी की सीमा पर ऐसी घटना गठित हुई है ग्रामीण नानकराम ने बताया की आवारा कुत्ते थोड़े शाम के वक्त आते है छोटे पशुओं के साथ बड़े पशुओं के ऊपर चढ़कर खूब परेशान करके ओर मार गिराते है आस पास के ग्रामीणों ने पशुओं के चिलाने पर कई पशुओं को उनके चंगुल से छुडवाया है.

राजस्थान सरकार द्वारा पशुधन निशुल्क आरोग्य योजना तथा नाबार्ड की योजना से हर पंचायत स्तर पर पशुधन को संक्रामक रोगों से बचाने के लिए रोग प्रतिरोधक टीके वन विभाग के सहयोग से लगाए जाते है. लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में इस तरह की घटना को रोकने के लिए कोई योजना नहीं है जिससे ग्रामीण को हुए नुकसान तथा पशुधन की जान बचाई जा सके. ग्रामीणों ने अपने स्तर पर पशुओं की सुरक्षा की चर्चा हर गाँव में नजर आयेगी लेकिन विभाग इस पर मूक दर्शक बन रहा है.

उपनिदेशक पशुपालन विभाग ने बताया की सरकार द्वारा पशुधन के लिए बीमा की योजना क्रियान्वित है जिससे लाभकारी किसानों को पशुधन का के मुआवजा मिलता है लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में बिना जागरूकता के 5% से कम ग्रामीणों ने अपने पशुधन के बीमा करा रखा है जान माल एवं पशुधन के सहायता राशि मिलना ना मुश्किल सा है.

इसी घटना की जानकारी वन विभाग रेंन्ज को दी जाती है लेकिन कई घंटो तक ग्रामीण क्षेत्रों में नहीं पहुंच पाते है तब तक पशु मर चूका होता है एवं अधिकारीयों की घोर लापरवाहियों सामने आती है जिससे वन्यजीव प्रेमीयो एवं अधिकारी कई बार आमने सामने भी हो जाते है.लेकिन बार बार कोताही बरतने पर ग्रामीणों में गहरा रोष व्याप्त है शीघ्र ही आन्दोलन करने के लिए मजबूर होंगे.

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