अभिनव हथाइयों का दौर
गंगानगर के करणपुर से
आपा नहीँ तो कुण
आज नहीँ तो कद
श्री करनपुर कस्बे के वकील साथियों को अभिनव राजस्थान पार्टी का परिचय व "राजस्थान की प्यारी सी आवाज़" बुकलेट दी गयी। सर्व श्री गुरदेव सिंघ बडिन्ग , गुरदयाल सिंघ मल्ही ,चीम्मा जी पुर्व सरपंच मुकन गँगा बिशन जी विश्नोई , पुर्व पालिका अध्यक्ष Jugal Kishore Sen जी से राजनीति से आगे लोक नीति की ओर जाने के लिये इस बुकलेट को पढ़ने की गुजारिश की ।
आज नहीँ तो कद
श्री करनपुर कस्बे के वकील साथियों को अभिनव राजस्थान पार्टी का परिचय व "राजस्थान की प्यारी सी आवाज़" बुकलेट दी गयी। सर्व श्री गुरदेव सिंघ बडिन्ग , गुरदयाल सिंघ मल्ही ,चीम्मा जी पुर्व सरपंच मुकन गँगा बिशन जी विश्नोई , पुर्व पालिका अध्यक्ष Jugal Kishore Sen जी से राजनीति से आगे लोक नीति की ओर जाने के लिये इस बुकलेट को पढ़ने की गुजारिश की ।
चुरू जिले से
आज लसेड़ी गांव में हूँ अभिनव राजस्थान प्रचार के लिए। लसेड़ी में अभिनव राजस्थान का स्वागत। अभी 4 बजे तक लसेड़ी में रहूंगा। काफी लोगों से मिलना बाकी है।
लोगों को योजनाएं पंसद आ रही हैं। खास कर, योजनाओं की लिखित में कानूनी गारंटी मिलने की बात से लोग खुश नजर आये।
वर्तमान राजनीति द्वारा हो रहे भेदभाव से लोग परेशान हैं। लसेड़ी में अभिनव मित्रों, श्री चांदवीर जी और श्री जगदीश जी का सहयोग मिला।
लोगों को योजनाएं पंसद आ रही हैं। खास कर, योजनाओं की लिखित में कानूनी गारंटी मिलने की बात से लोग खुश नजर आये।
वर्तमान राजनीति द्वारा हो रहे भेदभाव से लोग परेशान हैं। लसेड़ी में अभिनव मित्रों, श्री चांदवीर जी और श्री जगदीश जी का सहयोग मिला।
सवाईमाधोपुर से
(गंगापुर सिटी, सवाईमाधोपुर में अभिनव राजस्थान पर क्लास, बेअंत सर की , असली लोकतंत्र और असली विकास पर व्याख्यान. उन्हीं की अभिनव रिपोर्ट----सिम्पली सुपर्ब))
- दिनाँक - 8 फरवरी, 2018 गुरुवार समय: दोपहर 2 से शाम 3:30
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आज का अनुभव ..
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जो समझने की ललक रखता हो उसे समझाना बहुत आसान है... लेकिन जिसके दिमाग में "नौकरी" जैसा एक ही शब्द खाते, पीते, उठते, बैठते, सोते समय गूंजता रहता हो, जो आपके अभियान से बिल्कुल भी परिचित न हो, जिसे ऐसी चीजों से बिल्कुल लेना-देना न हो, जिन्हें आज प्रेरित करने की कोशिश न कि गयी हो, जिन्हें केवल जिन्दाबाद-मुर्दाबाद के नारे के लिए ही उपयोग में लिया गया हो, जिसे हमेशा भ्रम में रखा गया हो, जो पहले ही घोर निराशा से भरा हो, गुस्से में हो, परेशान हो, उस युवा को समझाना बहुत ही मुश्किल काम होता है।
लेकिन उस काम को भी आज हाथ में ले ही लिया।
गंगापुर सिटी की सबसे बड़ी कंपीटिशन कोचिंग "अग्रवाल कोचिंग" में आज पहुंच ही गए।
कोचिंग में प्रवेश करने से पहले ही साथी आशुतोष जी, और पंकज जी सतर्क करते हुए कहा कि बेअन्त जी आज आप उन युवाओं के बीच में जा रहे हो जो अपने चार घंटे का समय केवल और केवल नौकरी पाने के लिए तैयारी में बिताता है। उनकी संख्या बहुत ज्यादा है। आप कैसे अपनी बात रखोगे। वो बोर होने लगे तो शोर मचाना शुरू कर देते हैं। मेरे समझ से बाहर था कि ये मेरे साथी मुझे समझा रहे थे या डरा रहे थे।
सीधे ही मंच पर चढ़ा दिया। माइक भी लगा दिया। अब तक सेंकडों बार बोला हूँ, पर आज और भी मजा आया। क्योंकि आपने उन लोगों को समझाया जिन्हें वास्तव में समझने की जरूरत है। शुरू के दस मिनट तक कोचिंग स्टूडेंट्स समझ नहीं पा रहे थे कि होना क्या है, समझना क्या है।
लेकिन फिर उनके दिमाग में असली लोकतन्त्र, असली विकास की बात उतरने लगी।
मैंने उनके चेहरे के भाव पड़े हैं। मैं नहीं जानता कि सभी सन्तुष्ट होंगे, पर इतना जानता हूँ कि जिनके भाव मैंने पड़े हैं वो निश्चित रूप से मेरी प्रत्येक बात का इशारा समझ चुके हैं।
अभी केवल छींटे मारे हैं, धीरे-धीरे पुताई भी हो जाएगी।
धन्यवाद कोचिंग संचालक S. Chand जी
और मित्र Pankaj Gupta जी, Ashutosh Arya जी का।
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आज का अनुभव ..
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जो समझने की ललक रखता हो उसे समझाना बहुत आसान है... लेकिन जिसके दिमाग में "नौकरी" जैसा एक ही शब्द खाते, पीते, उठते, बैठते, सोते समय गूंजता रहता हो, जो आपके अभियान से बिल्कुल भी परिचित न हो, जिसे ऐसी चीजों से बिल्कुल लेना-देना न हो, जिन्हें आज प्रेरित करने की कोशिश न कि गयी हो, जिन्हें केवल जिन्दाबाद-मुर्दाबाद के नारे के लिए ही उपयोग में लिया गया हो, जिसे हमेशा भ्रम में रखा गया हो, जो पहले ही घोर निराशा से भरा हो, गुस्से में हो, परेशान हो, उस युवा को समझाना बहुत ही मुश्किल काम होता है।
लेकिन उस काम को भी आज हाथ में ले ही लिया।
गंगापुर सिटी की सबसे बड़ी कंपीटिशन कोचिंग "अग्रवाल कोचिंग" में आज पहुंच ही गए।
कोचिंग में प्रवेश करने से पहले ही साथी आशुतोष जी, और पंकज जी सतर्क करते हुए कहा कि बेअन्त जी आज आप उन युवाओं के बीच में जा रहे हो जो अपने चार घंटे का समय केवल और केवल नौकरी पाने के लिए तैयारी में बिताता है। उनकी संख्या बहुत ज्यादा है। आप कैसे अपनी बात रखोगे। वो बोर होने लगे तो शोर मचाना शुरू कर देते हैं। मेरे समझ से बाहर था कि ये मेरे साथी मुझे समझा रहे थे या डरा रहे थे।
सीधे ही मंच पर चढ़ा दिया। माइक भी लगा दिया। अब तक सेंकडों बार बोला हूँ, पर आज और भी मजा आया। क्योंकि आपने उन लोगों को समझाया जिन्हें वास्तव में समझने की जरूरत है। शुरू के दस मिनट तक कोचिंग स्टूडेंट्स समझ नहीं पा रहे थे कि होना क्या है, समझना क्या है।
लेकिन फिर उनके दिमाग में असली लोकतन्त्र, असली विकास की बात उतरने लगी।
मैंने उनके चेहरे के भाव पड़े हैं। मैं नहीं जानता कि सभी सन्तुष्ट होंगे, पर इतना जानता हूँ कि जिनके भाव मैंने पड़े हैं वो निश्चित रूप से मेरी प्रत्येक बात का इशारा समझ चुके हैं।
अभी केवल छींटे मारे हैं, धीरे-धीरे पुताई भी हो जाएगी।
धन्यवाद कोचिंग संचालक S. Chand जी
और मित्र Pankaj Gupta जी, Ashutosh Arya जी का।
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